गेहूं या सरसो की बुआई में न करे इस खाद का इस्तेमाल | कृषि अधिकारियों ने दी चेतावनी

गेहूं या सरसो की बुआई में न करे इस खाद का इस्तेमाल | कृषि अधिकारियों ने दी चेतावनी

दोस्तों मध्य प्रदेश में रबी सीजन की बुवाई जोरों पर है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, लगभग आधी रबी फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है, जिसमें गेहूं का उत्पादन सबसे अधिक है। किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। उर्वरकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कृषि विभाग लगातार जांच करता रहता है। हाल ही में, सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) उर्वरक की गुणवत्ता की जांच की गई, जिसमें एक कंपनी के SSP उर्वरक को अमानक पाया गया। इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और किसानों को सलाह दी गई है कि वे इस उर्वरक का उपयोग न करें। यह कदम किसानों के हित में उठाया गया है ताकि वे गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों का उपयोग करके अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा सकें। कृषि विभाग किसानों से अपील करता है कि वे केवल मानक गुणवत्ता वाले उर्वरकों का ही उपयोग करें और किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर कृषि विभाग से संपर्क करें।

क्या आदेश जारी किया गया है
जिले में एक उर्वरक कंपनी, Jeroen SSP Fertilizer, पर अमानक उत्पादन का आरोप लगा है। कंपनी के उत्पाद के नमूने की जांच में यह पाया गया है कि यह मानकों के अनुरूप नहीं है। इस गंभीर मामले को देखते हुए जिले के उप संचालक ने कंपनी के सभी उर्वरकों के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, कंपनी के प्रतिनिधि को कारण बताओ नोटिस जारी कर अमानक उत्पाद के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि, अब तक कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। कंपनी द्वारा उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है और जिले के उप संचालक के आदेशों की भी अवहेलना की गई है। इस मामले में उचित कार्रवाई करते हुए कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग उठ रही है।

कृषि विभाग ने की खाद की जांच
कृषि विभाग द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में आर.एम फॉस्फेट कंपनी के उर्वरक सिंगल सुपर फॉस्फेट (जीरोन) के नमूने अमानक पाए गए हैं। उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न स्थानों से इन नमूनों को एकत्रित कर प्रदेश की विभिन्न उर्वरक गुण नियंत्रण प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए भेजा था। परीक्षण परिणामों से पता चला है कि ये नमूने निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं।

अन्य जिलों में भी जांच में फैल हुआ ये खाद
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक विशेष कंपनी के उर्वरक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। यह निर्णय उर्वरक की गुणवत्ता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण लिया गया है। हालांकि, राज्य के कई अन्य जिलों में यह प्रतिबंधित उर्वरक अभी भी बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इस अवैध व्यापार से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है बल्कि कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और पर्यावरण को भी खतरा पैदा हो रहा है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन को सख्त कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित उर्वरक की बिक्री रोकनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

जीरोन को किया गया प्रतिबंधित
कृषि विभाग ने किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आर.एम फॉस्फेट कंपनी के अमानक उर्वरक पर प्रतिबंध लगा दिया है। उपसंचालक (कृषि) के.सी. वास्केल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मध्य प्रदेश उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जिले भर में आर.एम फॉस्फेट कंपनी का सिंगल सुपर फॉस्फेट (जीरोन) उर्वरक खरीदना, बेचना, संग्रहित करना और परिवहन करना तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह फैसला किसानों को अमानक उर्वरकों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए लिया गया है। ऐसे उर्वरक फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई आदान विक्रेता या निर्माता कंपनी इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 और उर्वरक (संचालन) आदेश 1973 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी और एफ.आई.आर दर्ज की जाएगी।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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